Sunday, October 19, 2014

  उद्योगों के लिये स्व-प्रमाणीकरण योजना ल ागू

अब 61 पंजी एवं 13 विवरणी के स्थान पर मात्र एक पंजी और दो विवरणी होंगी पर्याप्त
सूचना देकर पाँच वर्ष में होगा निरीक्षण

'स्व-प्रमाणीकरण योजना' से मिलेगी उद्यमियों को राहत
 भोपाल।  राज्य शासन ने अनावश्यक कठिनाइयों से उद्यमी और नियोजकों को बचाने के लिए  'स्व-प्रमाणीकरण योजना' शुरी की है । इससे नियोजक श्रम कानून के प्रवर्तन, पंजियों और विवरणियों के कारण होने वाली परेशानियों से बचा जा सकेगा। योजना से श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था प्रावधानों के साथ समझौता किए बिना उद्यमी को स्व-प्रेरणा से श्रम कानूनों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। योजना खतरनाक और अति खतरनाक श्रेणी के कारखानों को छोड़कर शेष समस्त कारखानों, दुकानों, वाणिज्यिक स्थापनाओं, मोटर परिवहन स्थापनाओं के लिए होगी। योजना में सम्मिलित उद्योगों का 5 साल में एक बार वह भी पूर्व सूचना देकर निरीक्षण किया जाएगा।
श्रममंत्री अंतर सिंह आर्य बताते हैं कि कोई भी उद्यमी या नियोजक योजना में कभी भी शामिल होने या न होने के लिए स्वतंत्र रहेगा। शामिल होने वाले उद्यमी को 16 अधिनियम के तहत होने वाले आकस्मिक निरीक्षण से छुटकारा मिलेगा। संधारित की जाने वाली 61 पंजी एवं दाखिल की जाने वाली 13 विवरणी के स्थान पर महज एक एकीकृत पंजी और कुल दो वार्षिक विवरणी देना पड़ेगी 5 वर्ष में एक बार पूर्व सूचना देकर निरीक्षण किया जाएगा। निरीक्षण में सभी 16 अधिनियम के अंतर्गत एक ही बार में निरीक्षण कर लिया जाएगा। कोई कमी मिलने पर अभियोजन कार्रवाई न करते हुए नियोजक को सुधारात्मक कार्रवाई के लिए समय-सीमा दी जाएगी। श्री आर्य ने कहा कि निरीक्षण का उद्देश्य दण्डात्मक कार्रवाई करने का न होकर उद्यमी, व्यवसायी को मार्गदर्शन एवं सहयोग प्रदान करना है। जो उद्यमी श्रम कानूनों का स्वेच्छा से पालन करने के लिए प्रतिबद्ध होंगे, वे 5 वर्ष तक निरीक्षणों के झंझट और अभियोजना की कार्रवाई के डर से मुक्त होंगे।
योजना में शामिल होने के इच्छुक नियोजक को सुरक्षा निधि की राशि श्रमायुक्त के पक्ष में बेंक गारंटी (6 साल के लिए वैध) अथवा बेंक ड्राफ्ट के रूप में आवेदन के साथ संलग्न करते हुए जिला-स्तरीय श्रम कार्यालय में या लोक सेवा केन्द्र के माध्यम से सीधे श्रमायुक्त कार्यालय को आॅनलाइन देना होगा।
सुरक्षा निधि
संस्थान में कार्यरत श्रमिक संख्या 20 तक होने पर योजना में शामिल होने के इच्छुक नियोजक को आवेदन-पत्र के साथ 5000 रुपये की सुरक्षा निधि, 21 से 100 श्रमिक पर 10 हजार, 101 से 300 श्रमिक पर 25 हजार, 301 से 500 श्रमिक पर 40 हजार और 500 से अधिक श्रमिक पर 50 हजार रुपए की सुरक्षा निधि बेंक गारंटी या डी.डी. के रूप में श्रमायुक्त को देय होगी। यह निधि हर वर्ष के लिये अलग-अलग न होकर सिर्फ एक बार ही जमा करनी होगी, जो 5 वर्ष बाद वापसी योग्य होगी।
यदि कोई उद्यमी या नियोजक योजना में शामिल होने के बाद योजना से बाहर आना चाहता है तो कभी भी ऐसा कर सकता है। एक वर्ष के भीतर बाहर आने की स्थिति में सुरक्षा निधि में 20 प्रतिशत कटौती, दो वर्ष में 40, तीन वर्ष में 60, चार वर्ष में 80 और चार से पाँच वर्ष में बाहर आने की स्थिति में 100 प्रतिशत कटौती होगी।
श्रम मंत्री आर्य ने कहा कि यदि नियोजक संस्थान द्वारा श्रमिकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संबंधी प्रावधानों के समुचित पालन के अभाव में संस्थान में कोई दुर्घटना घटित होती है या योजना के प्रावधानों, शर्तों या घोषणा-पत्र का उल्लंघन होता है, पंजी में दुर्भावनावश असत्य प्रविष्टि करता है तो सुरक्षा निधि राजसात की जा सकेगी। श्री आर्य ने कहा कि किसी भी नियोजक की सुरक्षा निधि उसे सुनवाई का अवसर दिए बिना राजसात नहीं की जाएगी। जो उद्यमी और नियोजक पाँच वर्ष तक योजना में सफलता से सम्मिलित रहेंगे उनके पास सुरक्षा निधि वापस लेने अथवा पाँच वर्ष के लिये नवीनीकरण का विकल्प रहेगा।

योजना में शामिल होने के लिये आवेदन-पत्र एवं घोषणा-पत्र जिन पदाधिकारी लारा प्रस्तुत किया जा सकेगा उनमें एकल नियोजक/प्रोप्ररायटरशिप स्थापना - फर्म के नियोजक/प्रोपरायटर लारा स्वयं, पार्टनरशिप फर्म में कोई भागीदार अथवा प्रबंधक, कम्पनी की स्थिति में कम्पनी लारा अधिकृत निदेशक या प्रबंध संचालक, कारखाने की स्थिति में अधिभोगी या कारखाना प्रबंधक, है।

नियोजक के योजना में शामिल हो जाने पर उसे वार्षिक विवरणी प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिये एक से 30 अप्रैल के मध्य तथा केलेण्डर वर्ष के लिये एक से 30 जनवरी के मध्य जिला-स्तरीय श्रम कार्यालय में या श्रमायुक्त कार्यालय को आॅनलाइन देनी होगी। समय-सीमा में विवरणी दाखिल न करने पर उद्यमी को एसएमएस, ई-मेल, लिखित सूचना लारा 15 दिन का और समय दिया जायेगा।



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